नेपाल और बांग्लादेश के बीच 'हाथी की तरह' बैठा है भारत

क्या नेपाल अपने यहाँ पैदा की गई बिजली सीधे बांग्लादेश को बेच सकता है?

दोनों देशों के अधिकारी काठमांडू में इस मुद्दे पर पिछले दो दिन से चर्चा कर रहे हैं.

नेपाली अधिकारियों को उम्मीद है कि अगले कुछ साल में नेपाल अपनी ज़रूरत से ज़्यादा बिजली उत्पादन करेगा.

इस अतिरिक्त बिजली को नेपाल सीधे बांग्लादेश को बेचना चाहता है.

लेकिन बिजली के तार बांग्लादेश तक भारत होते हुए ही पहुँचाये जा सकते हैं.

बीच में भारत
नेपाल इसी रास्ते बांग्लादेश को बिजली भेज सकता है लेकिन इसके लिए भारत का सहयोग बहुत ज़रूरी है.

नेपाल के कई जानकारों ने कहा है कि जब तक भारत इसकी अनुमति नहीं देता तब तक न नेपाल कुछ कर सकता है और न ही बांग्लादेश.

नेपाल के पूर्व जलस्रोत सचिव द्वारिकानाथ ढुँगेल का कहना है, "नेपाल और बांग्लादेश कितनी भी बातें करें लेकिन जब तक बीच में हाथी की तरह बैठा भारत सहयोग नहीं करता, इस बातचीत का कोई मतलब नहीं है."

नेपाल की प्राइवेट बिजली कंपनियों के संगठन और सरकार का कहना है कि दो साल के अंदर वो एक से दो हज़ार मेगावॉट तक अतिरिक्त बिजली उत्पादन करने में सक्षम होंगे.

जबकि फ़िलहाल नेपाल का कुल बिजली उत्पादन 1300 मेगावॉट है.

नेपाल की बिजली
ढुँगेल उदाहरण देते हैं कि सार्क ‍और बिमस्टेक की बैठकों में भी ऊर्जा सहयोग का ज़िक्र हुआ था लेकिन इसके बाद बात आगे नहीं बढ़ी.

उनका कहना है कि भारत ने अब तक अपनी नीति में कोई बदलाव नहीं किया है इसलिए बांग्लादेश से ऊर्जा व्यापार की राह में अड़चनें बाक़ी हैं.

नेपाल की सरकारी बिजली कंपनी विद्युत प्राधिकरण के पूर्व कार्यकारी निर्देशक संतबहादुर पुन भी इस तरह की पहल को सफल होने मे भारत की निर्णायक भूमिका देखते हैं.

संतबहादुर पुन कहते हैं, "पहली बात तो ये है कि हमने कभी बांग्लादेश को ऊर्जा निर्यात करने के लिए भारत से खुलकर बात नहीं की है. लेकिन अगर आप भारत की ऊर्जा नीतियोँ को देखते हैं तो वो ढिलाई बरतने वाले नहीं हैं. और फिर नेपाल में लोग बिना सोचे केवल बिजली बेचने कि बात करते रहते हैं."

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