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Showing posts from December, 2018

‘Bar girl in India’ गूगल में सर्च करने पर सोनिया गांधी का नाम क्यों आया?

इस सप्ताह दो बड़े नेताओं के नाम से जुड़े 'गूगल सर्च रिज़ल्ट' ने अमरीका और पाकिस्तान समेत भारत में भी सुर्खियाँ बटोरीं. ट्विटर और फ़ेसबुक पर सैंकड़ों यूज़र्स ने ये दावा किया कि जब वे गूगल पर 'Idiot' सर्च करते हैं तो अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप और 'Bhikhari' सर्च करने पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान का नाम आता है. कुछ इसी तरह के पोस्ट बुधवार सुबह से भारत में भी दिखने शुरू हुए. बहुत से लोगों ने सोशल मीडिया पर ये दावा किया कि जब वो गूगल सर्च इंजन में 'Bar girl in India' या 'Italian Bar girl' सर्च कर रहे हैं तो कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की मां सोनिया गांधी का नाम सबसे पहले रिज़ल्ट के तौर पर दिख रहा है. कुछ लोगों ने दावा किया कि ऐसा सिर्फ़ गूगल सर्च इंजन पर नहीं दिख रहा, बल्कि बिंग सर्च इंजन से भी कमोबेश ऐसे ही नतीजे सामने आ रहे हैं. गूगल ट्रेंड्स की मानें तो लोगों ने 19 दिसंबर को सुबह 7:30 बजे से 'Bar girl in India' तेज़ी से सर्च करना शुरू किया. गूगल ट्रेंड्स के अनुसार भारत के उत्तराखंड, झारखंड, छत्तीसगढ़, राजस्थान

नेपाल और बांग्लादेश के बीच 'हाथी की तरह' बैठा है भारत

क्या नेपाल अपने यहाँ पैदा की गई बिजली सीधे बांग्लादेश को बेच सकता है? दोनों देशों के अधिकारी काठमांडू में इस मुद्दे पर पिछले दो दिन से चर्चा कर रहे हैं. नेपाली अधिकारियों को उम्मीद है कि अगले कुछ साल में नेपाल अपनी ज़रूरत से ज़्यादा बिजली उत्पादन करेगा. इस अतिरिक्त बिजली को नेपाल सीधे बांग्लादेश को बेचना चाहता है. लेकिन बिजली के तार बांग्लादेश तक भारत होते हुए ही पहुँचाये जा सकते हैं. बीच में भारत नेपाल इसी रास्ते बांग्लादेश को बिजली भेज सकता है लेकिन इसके लिए भारत का सहयोग बहुत ज़रूरी है. नेपाल के कई जानकारों ने कहा है कि जब तक भारत इसकी अनुमति नहीं देता तब तक न नेपाल कुछ कर सकता है और न ही बांग्लादेश. नेपाल के पूर्व जलस्रोत सचिव द्वारिकानाथ ढुँगेल का कहना है, "नेपाल और बांग्लादेश कितनी भी बातें करें लेकिन जब तक बीच में हाथी की तरह बैठा भारत सहयोग नहीं करता , इस बातचीत का कोई मतलब नहीं है." नेपाल की प्राइवेट बिजली कंपनियों के संगठन और सरकार का कहना है कि दो साल के अंदर वो एक से दो हज़ार मेगावॉट तक अतिरिक्त बिजली उ त्पादन करने में सक्षम होंगे. जबकि फ़िलहा

ईरानः बहाई लोग जिन्हें दो ग़ज़ ज़मीन भी हासिल नहीं

दिल्ली का लोटस टेम्पल वैसे तो भारत में एक पर्यटन केंद्र के रूप में जाना जाता है लेकिन कम ही लोगों को मालूम होगा कि ये दरअसल बहाई धर्म का पूजा स्थल है. बहाई धर्म की जड़ें ईरान में हैं जहां बीते कुछ समय से इस समुदाय में असुरक्षा की भावना बढ़ गई है. ईरान में बहाई समुदाय के नेताओं को जेल में डालने की घटनाएं लोग भूले भी नहीं थे कि इसी साल सितंबर में एक ईरानी नागरिक समशी अक़दसी आज़मियान का शव दमावंद के इलाक़े में क़ब्र से बाहर निकालकर दूर जंगल में फेंक दिया गया. ये घटना स्थानीय अधिकारियों की उस चेतावनी के बाद हुई जिसमें क्षेत्र के बहाई समाज को उनके अपने निजी क़ब्रिस्तान में भी मुर्दे दफ़न करने से मना किया गया था. इससे पहले भी ईरान के कई शहरों में बहाई समुदाय के क़ब्रिस्तानों में तोड़-फोड़ की घटनाएं होती रही हैं. ऐसा भी हुआ है कि मुर्दे दफ़नाने से रोकने के लिए उनके क़ब्रिस्तान ही बंद कर दिए गए. बहाई समुदाय के क़ब्रिस्तान को लेकर ईरान में ऐसी असंवेदनशीलता क्यों है? उनके क़ब्रिस्तान क्यों तोड़े जाते हैं और अपने निजी क़ब्रगाहों में भी उन्हें मुर्दे दफ़नाने से क्यों रोका जाता है